
पिछले हजार वर्षों की दासता के दौरान भारत की परम्परागत शिक्षा-प्रणाली ध्वस्त हो गयी थी और उसके स्थान पर लार्ड मैकाले द्वारा परिकल्पित तथा ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा प्रारम्भ की हुई प्रणाली ही कमो-बेश आज तक चली आ रही है। स्वामी विवेकानन्द के शिक्षा-विषयक विचारों के आधार पर रामकृष्ण-संघ के एक वरिष्ठ संन्यासी स्वामी निर्वेदानन्दजी ने रामकृष्ण मिशन की शिक्षा-सम्बन्धी गतिविधियों पर संघ के आंग्ल मासिक ‘प्रबुद्ध भारत’ के 1928 ई. के छ: अंकों में एक लेखमाला प्रकाशित करायी थी और बाद में उसके परिवर्धन तथा सम्पादन के उपरान्त उसे ‘Our Education’ नामक पुस्तक का रूप दिया। 1945 ई. में अपने प्रथम प्रकाशन के बाद से आज तक यह ग्रन्थ अपने विषय पर एक महत्त्वपूर्ण कृति बनी हुई है।