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Raja Yoga (राजयोग - पातंजल योगसूत्र, सूत्रार्थ और व्याख्यासहित)

Author
Swami Vivekananda
Language
Hindi
Publisher
Ramakrishna Math, Nagpur
Binding
Paperback
Pages
230
ISBN
9789384883218
SKU
BK 0001486
Weight (In Kgs)
0.20
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₹ 70.00
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Raja Yoga (राजयोग - पातंजल योगसूत्र, सूत्रार्थ और व्याख्यासहित)
Product Details
प्रस्तुत पुस्तक में, स्वामी विवेकानन्दजी ने न्यूयॉर्क में राजयोग पर जो व्याख्यान दिये थे, उनका संकलन किया गया है। साथ ही, इसमें पातंजल योगसूत्र, उनके अर्थ तथा उन पर स्वामीजी द्वारा लिखी टीका भी सम्मिलित हैं। पातंजल योगदर्शन एक विश्वविख्यात दर्शन है जो हिन्दुओं के मनोविज्ञान की नीव है। इस पर स्वामीजी की टीका भी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। प्रत्येक व्यक्ति में अनन्त ज्ञान और शक्ति का वास है। राजयोग उन्हें जागृत करने का मार्ग प्रदर्शित करता है। इसका एकमात्र उद्देश्य है — मनुष्य के मन को एकाग्र कर उसे ‘समाधि’ नामक पूर्ण एकाग्रता की अवस्था में पहुँचा देना। स्वभाव से ही मानव-मन अतिशय चंचल है। वह एक क्षण भी किसी वस्तु पर ठहर नहीं सकता। इस मन की चंचलता को नष्ट कर उसे किस प्रकार अपने वश में लाया जाए, किस प्रकार उसकी इतस्तत: बिखरी हुई शक्तियों को समेटकर उसे सर्वोच्च ध्येय में एकाग्र कर दिया जाए, — यही राजयोग का विषय है। जो साधक प्राण का संयम कर, प्रत्याहार, धारणा और ध्यान द्वारा इस समाधि-अवस्था की प्राप्ति करना चाहते हैं, उनके लिए यह राजयोग बड़ा उपादेय सिद्ध होगा।
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